हाँ मैं हूं एक आस्था!
हाँ! मैं हूँ एक आस्था, मेरी आस्था में है मेरा रब बसा। सशक्त हूं प्रबल हूं , मैं हर मुश्किल का हल हूं। अपने घर की धरोहर हूं मैं, ईश्वर का दिया हुआ वर हूं मैं। आगाज़ हूं अंजाम हूं, कुदरत का भेजा पैगाम हूं। लहराता हुआ आंचल हूं मैं, पवित्रता में गंगा जल हूं मैं। वीना भी हूँ वाणी भी हूँ, मैं आज के युग की कहानी भी हूँ। शुरुआत भी हूँ अंत भी हूँ, जीवन में खिलने वाली बसंत भी हूँ। तुम्हारी हर चोट की मरहम हूं मैं, तरकश में तराशा हर तीर हूं मैं। खिली धूप भी हूँ, भीगी बारिश भी हूँ । फिज़ा में बिखरा हर रंग भी हूँ। बीता हुआ इतिहास हूं, हर उम्मीद का श्वास हूं । हाँ! मैं आपके आने वाले कल का विश्वास हूं। मुस्कराहट हूं अपने पिता की, माँ के आंचल की खुशबू हूं । महफ़ूज़ रहो, निडर बनो, आगे बढ़ो ताज़िंदगी । मिलती नहीं हर किसी को 'औरत' के किरदार की नियामत हर कहीं। मिलती नहीं हर किसी को 'औरत' के किरदार की नियामत हर कहीं।
Perfect getaway
ReplyDelete👌👌👌
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